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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।

अथवा
"मैला आँचल' उपन्यास में तात्कालिक सामाजिक और राजनीतिक स्थितियों को यथार्थ में उभारा गया है।' इस कथन की समीक्षा कीजिए।
अथवा
'मैला आँचल' सामाजिक विसंगतियों व विरुपताओं को अनावृत करने वाला उपन्यास है। इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?

उत्तर -

उपन्यास देशकाल का प्रतिबिम्ब होता है। वह समाज की चिन्त्य और गूढ़ परिस्थितियों को उजागर कर समाजोत्थान की महती प्रेरणा देता है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने कहा है "लोक या किसी जन समाज के बीच काल की गति के अनुसार जो गूढ़ और चिंत्य परिस्थितियाँ खड़ी होती हैं, उनको गोचर रूप में सामने लाना और कभी-कभी विस्तार का मार्ग भी प्रशस्त करना, उपन्यास का काम है।

मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है। इसमें एक 'मेरीगंज अंचल का सम्पूर्ण जीवन प्रतिबिम्बित हो उठा है। इसें ग्राम्य समाज से सम्बन्धित सभी समस्याओं का 'रेणुजी' ने चित्रण किया है। इस उपन्यास में निम्नलिखित रूप में समस्याएँ ज्वलन्त रूप में सामने आयी है :

1- राजनीति सम्बन्धी समस्याएँ
2- धार्मिक समस्याएँ
3- आर्थिक समस्याएँ
4- सामाजिक समस्याएँ

राजनीति के सम्बन्ध में अज्ञानता - आलोच्य उपन्यास के घटनाकाल में जहाँ नगरों में स्वतंत्रता के आंदोलन व्यापक रूप से चल रहे थे, वहाँ ग्रामों में आन्दोलों का कोई प्रभाव नहीं था। वे आन्दोलनों का महत्व समझने में अक्षम थे और उनका राजनीतिक गतिविधियों से कोई सम्बन्ध नहीं था। नेता के भाषण का उनकी दृष्टि में कोई महत्व नहीं था। आन्दोलन एवं जनजागरण के जुलूस उनके लिए तमाशा भर थे। बालदेव स्वतंत्रता प्राप्ति पर जो जुलूस निकालता है, ग्राम बावनदस आदि ग्रामों में राजनीतिक चेतना जाग्रत करते हैं।

चुनाव में दलबन्दी - चुनावों में जातिवाद, भाई भतीजावाद और पूँजीवाद का बोलबाला चुनाव है। दलबन्दी ने स्वस्थ राजनीति को कुंठित बना दिया है। शक्ति सम्पन्न और पैसे वाला ही चुनाव में उतरने का साहस कर सकता है। डॉक्टर राम किरपाल सिंह संघ के स्वयं सेवकों के लाठी के बल से चुनाव जीतना चाहते हैं। भंडारे के समय भी यही जातिवाद सामने आता है।

आलोच्य उपन्यास के कथानक में जनसंघ, सोशलिस्ट, कांग्रेसी, कम्युनिस्ट - सभी अपने-अपने दल के प्रचार कार्य में लगे दिखाई पड़ते हैं। सभी दलितों की हित की बात कह कर सत्ता हथियाना चाहते हैं। जनसंघ काली टोपी वाले संयोजक मुसलमानों का विरोध करके हिन्दू- साम्राज्यवादी स्थापना का स्वप्न दिखाते हैं। साम्यवादी दल का वासुदेव उनको बुद्ध कहता है। बालदेव कांग्रेस का तिरंगा झंडा उठाये फिरता है। गन्दी राजनीति में डाक्टर प्रशांत जैसे समाजसेवी साम्यवादी होने के संदेह में गिरफ्तार कर लिये जाते हैं।

आलोच्य उपन्यास में राजनीतिक चेतना का जीवन्त आकलन हुआ है। विभिन्न राजनीतिक मतवाद, पार्टियां संगठन और उनकी समस्याएँ वर्ग संघर्ष आदि का चित्रण इस उपन्यास में विस्तार से हुआ है। कथानक में यह स्पष्ट हो जाता है कि ग्रामों में भी राजनीतिक हलचल का प्रसार हो रहा है।

राजनीतिक भ्रष्टाचार - नगरों की तरह ग्रामों में भी राजनीतिक भ्रष्टाचार व्याप्त हो गया है बालदेव जैसे अवसरवादी नेता अहिंसा का नारा देकर जनता को प्रभावित करते हैं और अपने त्याग और बलिदान का मूल्य ब्याज सहित वसूल करते हैं। बालदेव राशन की पर्चियाँ अपने परिचितों में ही बाँटता है। बालदेव अहिंसा की आड़ लेकर लक्ष्मी तथा रामदास के अधिकारों के हनन पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए भी नहीं हिचकता। वह बावनदास के पत्रों को इसलिए नष्ट करने का प्रयास करता है कि इनके प्रकाशित हो जाने पर बावनदास देशभक्त के रूप में सम्मानित हो जायेगा।

आलोच्य उपन्यास राजनीतिक भ्रष्टाचार का नग्न रूप सामने आता है। दुलारचन्द कापरा तथा घोटन बाबू जैसे भ्रष्टाचारी कांग्रेसी बन जाते हैं और सत्ता हथियाकर देश को नष्ट करने वाले कुकृत्य करते हैं। उनके कुकृत्यों का विरोध करने के कारण ही बावनदास की हत्या होती है।

धार्मिक समस्याएँ : अन्धविश्वास - 'मैला आँचल उपन्यास में समाज में व्याप्त धार्मिक समस्याओं की भी विस्तृत झलक सामने आती है। समाज को अनेक धार्मिक रूढ़ियां एवं अंधविश्वास खोखला कर रहे हैं। अशिक्षा के कारण ग्रामीणों की धार्मिक चेतना कुण्ठित है। वे पाखण्डी ओझा तथा ज्योतिषियों के विश्वास के जाल में फँसे हुए हैं। ये सभी मिलकर गाँव वालों का शोषण करते रहते हैं। ये लोग प्रत्येक सुधार तथा नवीनता का विरोध करते हैं। मेरीगंज में अस्पताल खुलता है। ज्योतिषी जी ग्राम वालों को एलोपैथिक दवाओं के विरुद्ध भड़का देते हैं। उनसे कहते हैं कि इन दवाओं के प्रयोग से सारे शरीर में विष व्याप्त हो जायेगा। डाक्टर सुई से शरीर में विष प्रवेश कर देते हैं। लाल दवा शरीर को कमजोर कर देती है। ग्रामों में अन्धविश्वास के कारण विधवा स्त्रियों को डाइन समझा जाता है। मेरीगंज के ग्रामीण गणेश की नानी को डायन मानते हैं। इसी अन्धविश्वास से ग्रस्त हीरू नामक किसान उसकी हत्या कर देता है। ज्योतिषी जी अपनी चतुर्थ पत्नी को डाक्टरी दवा नहीं देते। उसकी मृत्यु हो जाती है। उपन्यासकार यह संदेश देता है कि शिक्षा के प्रसार से ही ग्रामीणों में से अंधविश्वास दूर किया जा सकता है।

मठों में व्याप्त भ्रष्टाचार - गाँवों के मठ और मंदिर पाप कर्म और भ्रष्टाचार के अड्डे बने हुए हैं। मठों के महन्त तथा उनके शिष्य व्यभिचार में लिप्त हैं। सत्संग, बीजक -पाठ, निर्गुण वाणी आदि की आड में युवतियों का सतीत्व लूटा जाता है। मठों के महन्त गाँजा, सुलफा, चरस आदि की दम लगाते हुए व्यभिचार को बढ़ाते हैं। इस प्रकार मठों और मंदिरों में धर्म की आड़ में व्यभिचार के अड्डे बन गये हैं। आलोच्य उपन्यास में धार्मिक व्यभिचार का यथार्थ चित्रण हुआ है। लक्ष्मी महन्त की पाप वासना का शिकार हो जाती है।

आर्थिक समस्याएँ - 'मैला आँचल' उपन्यास में आर्थिक शोषण एवं आर्थिक विषमता का यथार्थ चित्रण हुआ है। धनी निर्धन एवं शोषक-शोषितों के बीच की खाई निरन्तर चौड़ी होती जा रही है। धनी वर्ग गरीबों का शोषण करके अपने लिए प्रत्येक प्रकार की सुविधा जुटा लेता है। वह उच्चाधिकारियों को डाली तथा रिश्वत आदि देकर अपने पक्ष में कर लेता है। यह उनकी आड़ में गरीबों का शोषण करता है। तहसीलदार साहब को दी जाने वाली डाली के पचास रुपये गरीबों से वसूल करने की बात कहते हैं। शोषित वर्ग इतना असहाय हो रहा है कि रात-दिन परिश्रम करके भी अपने पेट का पालन नहीं कर पाता और न उसे शरीर ढकने को वस्त्र ही मिल पाते हैं। उनकी स्त्रियों को भी पूरा शरीर ढकने के लिए वस्त्र नहीं मिल पाता। गाँव के किसानों को गाँव के जमींदार का बँधुआ मजदूर बनकर काम करना पड़ता है। वह ऋण ग्रस्त हो जाता है और जीवन में उस ऋण को कभी नहीं चुका पाता और मरने के बाद अपने ऋण का बोझ अपने पुत्र के सिर छोड़ जाता है। जमींदार किसानों से एक के दस वसूल करते हैं। ग्राम्य जीवन के अर्थ वैषम्य, वर्ग-भेद, निर्धनता, ऋण, महँगाई आदि की ज्वलन्त समस्याओं को रेणु जी ने उठाया है और अन्त में जमींदार (तहसीलदार) द्वारा प्रत्येक भूमिहीन को पाँच बीघा भूमि दिलवाकर समस्या का समाधान भी प्रस्तुत किया है। संथाल अपने अधिकारों के लिए विद्रोह करते देखे जाते हैं।

सामाजिक समस्याएँ और उनका समाधान - आलोच्य उपन्यास का 'मेरी गंज' गाँव भारत का प्रतिनिधि गाँव है। 'मेरीगंज' के कथानक का वर्णन करते हुए रेणुजी ने ग्रामों में व्याप्त समस्त सामाजिक समस्याएँ उठाकर उनका समाधान प्रस्तुत किया है। इसमें निम्नलिखित मुख्य सामाजिक समस्याएँ आयी है।

1. जाति पाँति तथा ऊंच-नीच की समस्या
2. प्रेम विवाह की समस्या
3. अनैतिक यौन सम्बन्धों की समस्या,
4. आदिवासियों की समस्या।

जाति-पाँति तथा ऊँच-नीच की समस्याएँ - गाँव में जाति-पाँति तथा ऊँच-नीच की समस्या सुरसा के समान विस्तार पाती जा रही है। सारा मेरीगंज गाँव कई जातिगत टोलियों में बँटा हुआ है। एक टोली अपने से दूसरी टोली को हीन समझती है। राजपूतों और यादवों में जातिगत स्पर्धा शत्रुता का रूप ले लेती है। ब्राह्मण टोली दोनों को लड़ाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करती है। विश्वनाथ प्रसाद कानून की आड़ में अपने स्वार्थ की सिद्धि करते हैं। सारा मेरीगंज गाँव जाति - पाँति और ऊँच-नीच के रोग से बुरी तरह ग्रस्त है। खिलावन सिंह यादव भण्डारे में इसलिए नहीं जाते क्योंकि उन्हें सम्मानपूर्वक बुलाया नहीं गया है।

मेरीगंज में तंत्रिका टोई के व्यक्ति को दूसरी जाति के लोग अपने पास फटकने नहीं देते। उनको कुएँ से पानी तक नहीं भरने दिया जाता है, परन्तु ब्राह्मण तक इनके व्यभिचार में लिप्त हैं। गाँव का ब्राह्मण चमारिन, भंगन को कुएँ से पानी भरने नहीं देता, किन्तु उनके साथ रात काट सकता है। सहदेव मिसिर फुलिया के यौवन का उपभोग करता है, परन्तु उसके हाथ का छुआ खाने में संकोच करता है।

प्रेम-विवाह तथा अन्तर्जातीय विवाह की समस्या - रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में प्रेम विवाह तथा अन्तर्जातीय विवाह की समस्या को उठाया है। इस उपन्यास के प्रायः सभी पात्र या तो अज्ञात कुलशील हैं या जाति-पाँति की रूढ़ियों को तोड़ने वाले हैं। डॉ. प्रशांत और बाबा बावनदास अज्ञात कुलशील हैं, लक्ष्मी जाति बंधनों से मुक्त हो चुकी है। कमला अज्ञात कुलशील वाले युवक प्रशान्त को वरण करती है। रेणुजी जाति पाँति विरोधी है और इस उपन्यास में भी उन्होंने जाति-पाँति के बँधनों को तोड़ा है।

'प्रेम विवाह' का भी मैला आँचल' उपन्यास से समर्थन किया गया है, कमला के पिता विश्वनाथ कमला और प्रशान्त के विवाह में बाधक नहीं बनते। कमला विवाह से पूर्व ही डाक्टर प्रशांत से गर्भवती हो जाती है। डॉ. प्रशांत द्वारा कमला को पत्नी के रूप में स्वीकार लेने से आलोच्य उपन्यास में प्रेम-विवाह और अन्तर्जातीय विवाह का समर्थन हो जाता है। मंगला और कालीचरण के बीच में भी यही स्थिति हैं। लक्ष्मी और बालदेव विजातीय हैं। लक्ष्मी प्रेम के कारण ही बालदेव के घर जाती है। यहाँ रेणु विवाह संस्था का बहिष्कार करते देखे जाते हैं। रेणु ने सामाजिक संकीर्णताओं को तोड़ने के लिए प्रेम विवाह को समाधान के रूप में स्वीकार किया है। घर-घर घूमकर सुमरिणदास जो प्रचार करता है, उसमें विवाह संस्था को नकारा गया हैं। तुम लोग तो जानते हो, पाँच पंच को जनाकर जब-जब शादी की बात पक्की हुई, एक न एक विघ्न पड़ गया। इसीलिए काशी के पण्डितों ने गन्धर्व विवाह कराने को कहा, यदि गन्धर्व विवाह की बात किसी को मालूम नहीं होने दी जाती है।'

अनैतिक यौन सम्बन्ध - ग्रामीण अंचल में अनैतिक यौन सम्बन्ध की समस्या भीषण रूप धारण किये हैं। 'मैला आँचल' के सभी पात्र इस कुत्सित समस्या के शिकार हैं। गाँव का मठ तो यौन सम्बन्ध (वयभिचार) का अड्डा है। मठ के महन्त सेवादास का कोठारिन लक्ष्मी से अनैतिक सम्बन्ध है। सेवादास अन्धा होकर मरता है। उसके बाद रामदास महन्त की गद्दी संभालता है। उसका भी लक्ष्मी से यौन सम्बन्ध है। रामदास रमपिरिया को रख लेते हैं और लक्ष्मी बालदेव को लेकर अलग मठ बनाकर रहने लगती है। चरखा सेन्टर की मंगला देवी कालीचरण के घर आकर रहती है। महँगूदास की पुत्री फुलिया से सहदेव मिश्र यौन सम्बन्ध बनाये हुए हैं। यह फुलिया खलासी जी के साथ भाग जाती है। बाद में उनको छोड़कर रेलवे के सिगनल मैन के घर बैठ जाती है। डॉ. प्रशान्त और कमला का यौन सम्बन्ध है। इसके परिणामस्वरूप पुत्र होता है, परन्तु डॉ. प्रशान्त कमला को पत्नी के रूप में स्वीकार कर आदर्श रूप प्रस्तुत करते हैं।

आदिवासियों की समस्या - मेरीगंज में संथाल बाहर से आकर रह रहे हैं। उनको गाँव से बाहर बसाया जाता है। जमींदार द्वारा उनका शोषण होता है।

बीमारियाँ और उनसे मुक्ति की समस्या - बीमारियों और उनसे मुक्ति गाँवों की प्रमुख समस्या है। यह समस्या मेरीगंज जैसे तराई के गाँवों में मलेरिया, हैजा, और कालाज्वर के रूप में भीषण रूप धारण करती है। आलोच्य उपन्यास में इस समस्या को डॉ. प्रशांत के द्वारा बड़ी सफलता से सुलझाया गया है।

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि 'मैला आँचल' एक समस्या प्रधान उपन्यास हैं। यह ग्रामीण अंचल की अनेक ज्वलन्त समस्याओं को सामने लाता है और उनका समाधान प्रस्तुत करता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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